A Review Of Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana

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डर से लड़ने के लिए मानसिक शक्ति कैसे बढ़ाएं

मूड स्विंग्स डेली रुटीन को प्रभावित करने लगे हैं तो जानिए इनका कारण और इन्हें कंट्रोल करने के उपाय मन की बात

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समझें कि डर कभी अच्छा भी हो सकता है और इसके पॉज़िटिव और प्रोटेक्टिव रूप को स्वीकार करें।

उसने तो सदा बस उलटे सीधे ही काम किये हैं. इस प्रकार की सोच उसके मष्तिष्क में एक तरह का भय पैदा करती है की अब आगे जब कोई संकट आएगा तो भगवान् भी मेरी मदद नहीं करेंगे. धीरे धीरे ये डर गहरा होता चला जाता है.

स्वयं को लगातार स्मरण कराते रहें कि सब कुछ अच्छे के लिए ही होता है।

डर एक ऐसी चीज है जिसे जितना पाले, पनाह देंगे, हमें उतना ही अपने चुंगल में समेटने more info लगता हैं। वक्त रहते यदि इस डर का इलाज नहीं किया जाए तो व्यक्ति धीरे-धीरे लेकिन बहुत छोटी छोटी बातों से भी घबरा कर चिंतित परेशान रहने लगता है, जैसे किसी बहुत बड़ी समस्या ने उसे घेर लिया है।

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जन्म देना और वापिस बुलाना भगवान् का काम है, जब तक वो नहीं चाहेंगे, कोई भी आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता.

जैसे हाथ पैंर कांपने लगना, सांस भारी हो जाना, दिल की धड़कन तेज हो जाना और कभी कभी चक्कर आ जाना. इन शारीरिक लक्षणों के साथ साथ हमारी मानसिक हालत भी कमजोर हो जाती है.

उत्तर: नहीं। डर से भागने की बजाय उसका सामना करना ही समाधान है।

डर एक ऐसी चीज़ है जिसे आप जितना मानेंगे, अपने दिल में जगह देंगे, ये उतना ही आपको घेरता जाएगा. इसलिए इसे अपने चारों तरफ ऐसा जाल ना बुनने दें जिससे आप निकल ही ना पाओ.

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